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Monday 14 November 2016

कशिश

कुछ तो है कशिश बातों मे तेरी, जो खींच लाई है मुझे...

घूँघरुओं की मानिंद लगते हैं शब्द तेरे,
दूर मंदिर में जैसे कोई कर रहा हो स्वर वंदन,
सुर मधुर सा कोई गाने लगी हो कोयल,
वीणा के तार कहीं झंकृत हुए हों अचानक ऐसे,
कि जैसे छम से आ टपकी हों बारिश की बूँदें!

कुछ तो है कशिश बातों मे तेरी, जो खींच लाई है मुझे...

आत्माओं के संस्कार की प्रकट रूप है वाणी,
सरस्वती के वरदान का इक स्वरूप है वाणी,
वाणी में किसी के यूँ ही होता नहीं इतना मिठास,
कशिश किसी की शब्दों में आता नहीं चुपचाप,
यूँ ही कोई, किसी का बनता नहीं तलबगार।

कुछ तो है कशिश बातों मे तेरी, जो खींच लाई है मुझे...

Tuesday 5 January 2016

यादों के साए

रथ किरण संग याद तुम्हारी,
मन को विस्मृत कर जाती हर प्रात,
जाने क्या-क्या कहती रहती,
किन बातों में है उलझी रहती,
सपने नए कई बुन जाती,
तृष्णगी तन्हाई के तृप्त कर जाती,
फासले सदियों के लगने लगते कम,
सूखी पथराई आँखें भी हो जाती हैं नम।

जर्जर वीणा के तारों से खेलती,
विरानियों में दिल के शहर कर जाती,
शांत मन में निर्झर लहर सी इठलाती,
दिल में चंचल तीस्ता सी मदमाती,
सांझ धुमिल किरण देख फिर मुरझा जाती,
लौट जाती हो तुम ढ़लती चाँद संग,
कहती वापस आऊँगी रथकिरण संग,
छोड़ जाती हो फिर तन्हाई मे कर विह्वल मन।

Sunday 27 December 2015

प्यार इक कशिश

प्यार ! जो पूरा न हो, 
तू उन्हीं ख्वाइशों में से है एक!

प्यार! तू है इक कशिश,
कोशिशों के बावजूद भी 
जो रह जाती हो अधूरी ..! 
तू उन्हीं ख्वाइशों में से है एक....!!

गर कर सको तुम,
ले कोरे कागज़ को हाथो में,
दो अपने अक्शों का स्नेह स्पर्श,
तू उन्ही खलिशों में से है एक ...!!

हमने खुद में पिरोया है तुम्हे,
एक ताबीर की तरह ,.,
टूटे गर हम बिखर जाओगे तुम भी,
तू उन्ही तपिशों में से है एक ...!!

प्यार ! जो पूरा न हो, 
तू उन्हीं ख्वाइशों में से है एक!