Friday 22 January 2016

रूठा अक्श मेरा

क्युँ अक्श मेरा आज मुझसे ही रूठता?

अक्स पूछता मुझसे बता मैं कौन हूँ?
निर्दयी भूल गए जब तुम ही मुझको,
पूछेगा जग में भला अब मुझको कौन?

क्युँ अक्श मेरा आज मुझसे ही पूछता?

साथ दिया मैने तेरा पग-पग पर,
क्युँ रहता तू किसी और पर निर्भर,
तू ही बता कहाँ गई पहचान मेरी पर?

क्युँ अक्श मेरा आज मुझसे ही पूछता?

लोग मुझे क्युँ कहते हैं लावारिश?
तेरे ही कर्मों ने जब जना है मुझको वारिश,
निष्ठुर भूल गए मुझको, की ना मेरी परवरिश?

क्युँ अक्श मेरा आज मुझसे ही कहता?

जब जब तू रोया मैं भी था रोया,
तेरी सफलता की छाया मे बढ़ पाया,
पर तेरे गुरूर ने आज मुझको भी खोया।

मेरे अक्श का दामन आज मुझसे ही छूटता?

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