Friday 30 December 2016

मधुक्षण ले फिर आओ तुम

प्रिये, तुम फिर से आओ मधु-क्षण लेकर इस पल में....
है सूना सा मेरे हृदय का आँगन ,
है आतुर यह चिन्हित करने को तेरा आगमन...
यह अनहद अनवरत प्रतीक्षा कब तक?
लघु जीवन यह, लंबा ....इंतजार...!
मधुक्षण ले तुम आ जाओं फिर एक बार !

क्युँ मुझको है एक हठीला सा विश्वास?
तुम्हारा निश्चय ही आने का ,
बेबस मन है क्युँ हर पल अकुलाहट में,
चू पड़ते हैं क्युँ इन आँख से आँसू .........
क्युँ तुमसे है मुझको अनहद प्यार....?
मधुक्षण ले तुम आ जाओं फिर एक बार !

तुम घन सी लहराओं एक बार !
आतुर हैं मेरी भावनाओं के बादल ..
माधूर्य बरसाने को तुम पर,
समर्पित हूँ मैं पूर्णतः तुमको साधिकार !
मधुक्षण ले तुम आ जाओं फिर एक बार !

हर आहट पर होता है मुझको ....
बस तुम्हारे आने का भ्रम,
खुली ये खिड़की, खुला ये आंगन,
और दो आँखें हैं नम...
बस शेष इतना ही  आभार.................!!!
मधुक्षण ले तुम आ जाओं फिर एक बार !

यदि कहूँ मैं तुम हो ...
मेरे मधुक्षण की माधूर्य मधुमिता,
अतिरेक न होगा ये तनिक भी, हो गर तुमको विश्वास,
तुम चाहो तो आकर ले लेना....
मेरी इन सिक्त बाहों का हार.......
मधुक्षण ले तुम आ जाओं फिर एक बार !

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